*हक़ उतना ही जताइये, जितना जायज़ लगे...!!* *रिश्ता फेरों का हो! या मोहब्बत का, घुटन न लगे...।।*
कहीं इज़हारे-मोहब्बत सुनके खफा ना हो जाए वो ये सोचके लगता है खामोश रहना ही अच्छा है.
वाबस्ता करें किससे हम अपनी उम्मीदें.........♥ इस दौर में हर शख़्स वफ़ा भूल गया है.....!!!✅??
*जनाजा रहबरी करता है पीछे चलने वालों की,* *उन्हें रास्ता दिखाता है जो रास्ता भूल बैठे हैं।*
राहों का ख़्याल है मुझे, मंज़िल का हिसाब नहीं रखता,, अल्फ़ाज़ दिल से निकलते है, मैं कोई किताब नहीं रखता
एक छुपी हुई पहचान रखता हूँ, बाहर शांत हूँ, अंदर तूफान. रखता हूँ,
रख के तराजू में अपने दोस्त की खुशियाँ, दूसरे पलड़े में मैं अपनी जान रखता हूँ।
मुर्दों की बस्ती में ज़मीर को ज़िंदा रख कर, ए जिंदगी मैं तेरे उसूलों का मान रखता हूँ।
अफ़सोस उस वक़्त बढ़ जाता है जब लड़की वालों को वह चीज़ें भी जहेज़ में..... देने के लिये खरीदते देखता हूँ जो खुद उनके घर में भी नहीं होती....!!????
ना पा सकूं , ना भुला सकूं ... तु मेरी मजबूरी - सा हैं ; तेरे बिना जी रहे हैं और जी भी लेंगे , फिर भी तु जरूरी - सा हैं
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Nice
जवाब देंहटाएं5402598404438389301
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हटाएंhello
जवाब देंहटाएंmukt ho raha hu
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