*मकानों के भाव* *यूँ ही नहीं बढ़ गए...दोस्तो,* *रिश्तों में पड़ी दरारों का* *फायदा बिल्डर उठा गए...!!*
नाम पे हम कुर्बान थे उस के लेकिन फिर ये तौर हुआ उस को देख के रुक जाना भी सब से बड़ी कुर्बानी थी
अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई, और बिखर जाऊँ तो मुझको न समेटे कोई...!!
मैंने दिल को मना लिया है.... अब ये तेरे बिना भी धड़केगा ....
*बस इतनी सी बात समुंदर को खल गई* ! *कि कागज की नाव मुझ पर कैसे चल गई* !!
❛नाम इसलिए उँचा हैं हमारा क्योंकि, हम 'बदला लेने की नही ,'बदलाव लाने की सोच रखते है।❜
❛जो दिल को अच्छे लगते है, उन्ही को अपना कहता हूँ.!! मुनाफा देखकर रिश्तों, की सियासत नहीं करता हूँ !!
जो फकीरी मिज़ाज रखते हैं, वो ठोकरों में ताज रखते हैं , जिन को कल की फिकर नहीं, वो मुठ्ठी में आज रखते हैं..
❛चेहरे की हँसी से गम को भुला दो, कम बोलो पर सब कुछ बता दो, खुद ना रूठो पर सबको हँसा दो, यही राज है ज़िन्दगी का, जियो और जीना सिखा दो।❜
❛तड़पते है नींद के लिए तो यही दुआ निकलती है, बहुत बुरी है ये मोहब्बत किसी दुश्मन को भी ना हो...❜
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